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पल्लव की डायरी अध्ययन की कोई इंतहा नही होती है चि

पल्लव की डायरी
अध्ययन की कोई इंतहा नही होती है

चिंतन मनन के बिना

साहित्यों के रचने  की धारणा पूरी नही होती है

गढ़ने को तो हजारों साहित्य है
मगर जब तक

देश और समाज के लिये नेतिकता 

और चरित्र ना निखरे

उन साहित्यों से हर और विसंगतियां पनपती है
                            प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"
  #kitaabein अध्ययन की कोई इंतहा नही होती है
#nojotohindi

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