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उसके बिना कंघी किए बाल,माथे की बिंदी मुझपर कुछ यूँ

उसके बिना कंघी किए बाल,माथे की बिंदी मुझपर कुछ यूँ कहर बरपाती है..।
देखता रहता हूँ मेरी पलकें घण्टों तक झपकना भूल जाती है।
यहाँ तक बात रहती तो ठीक था कुछ बात नही थी मेरी जान..।
जब आता हूँ तेरे होंठों पर नब्ज तक मेरी धड़कना भूल जाती है... धड़कन रुक जाती है.....
उसके बिना कंघी किए बाल,माथे की बिंदी मुझपर कुछ यूँ कहर बरपाती है..।
देखता रहता हूँ मेरी पलकें घण्टों तक झपकना भूल जाती है।
यहाँ तक बात रहती तो ठीक था कुछ बात नही थी मेरी जान..।
जब आता हूँ तेरे होंठों पर नब्ज तक मेरी धड़कना भूल जाती है... धड़कन रुक जाती है.....
rahulsaini6862

Rahul Saini

New Creator