Nojoto: Largest Storytelling Platform

कुछ अवाज़े अभी भी गूंजती हैं, वो गलियों के चौबारे

कुछ  अवाज़े अभी भी गूंजती हैं, वो गलियों के चौबारे
अब गुमसुम नज़र आतें हैं.....
कभी सोचूं की कह दूँ, पर सन्नाटे कानों में चुभ से जातें हैं.......
कहां गुम हुआ वो दौर ज़माने का.....
की बेवक़ूफी और समझ की समझ न थी,
पर उसी बात की ख़ुशी बहुत थी....
लोग कहते होंगे अल्हड़ पगल हमें, पर हमें भी उनकी फ़िक्र कहां थी.....
की तब रो लेते थे चोट  पर, और सब चुप कराते थे गोद पर, कहां डूब गए वो दिन, कहां गुम हुईं वो रातें....

क्यों अब वो तस्वीर में मुस्कुराते चेहरे मुस्कुराते नहीं,
क्यों वो लफ्ज़ ज़ुबान पर आते आते लबों पर आते नहीं....
कहां गयी वो गोद, कहां गुम हुआ वो कंधा, जहां सर रख कर मैं सोया, उन सपनों में खोया....
कोनसे ज़माने से कितने ज़माने का......

©Avantika Singh
  गुम हुए.....

गुम हुए..... #ज़िन्दगी

47 Views