सहचरी हैं वो वह सिर्फ वही स्वीकार करना चाहती है जो वह है, उसे ढालने की कोशिश न करें और, उसे अपने लिए खुद को बदलने के लिए ना कहें वो तुम्हारी पत्नी हैं । आवश्कता के अनुसार वो खुद से आप मे घुल जाएगी, मुझे यकीन है कि वह फूल की पंखुड़ी की तरह, परत दर परत खुलती जाएगी ओर वो बन जाएगी जो आप हैं कर्तव्यवान, निष्ठावान ।। K.st ©Prakhar Tiwari सहचरी हैं वो वह सिर्फ वही स्वीकार करना चाहती है जो वह है, उसे ढालने की कोशिश न करें और, उसे अपने लिए खुद को बदलने के लिए ना कहें वो तुम्हारी पत्नी हैं । आवश्कता के अनुसार वो खुद से आप मे घुल जाएगी, मुझे यकीन है कि वह फूल की पंखुड़ी की तरह,