भरोसे के नींव पर रिश्ते अब बनते कहाँ हैं ? स्वार्थ से परे लोग अब दिखते कहाँ हैं ? मायने ही बदल गये हैं इस जीवन के, सत्य की पहचान अब करता ही कौन है ? अपनों का प्यार अब मिलता कहाँ है ? बचपन का दुलार अब दिखता कहाँ है ? बड़प्पन की मार झेलने लगे हम सब, यथार्थ में अब जीता ही कौन है ? सड़क पर प्रसन्न चेहरा अब दिखता कहाँ है, बागों में भी रौनक अब मिलती कहाँ है? खुद में खोने लगे हैं हमलोग, दूसरों का दर्द अब महसूस ही कहाँ होता है ? कहाँ ? - Questioning #Nojoto #NojotoHindi #कहाँ #NojotoTMT #Poetry #truth