अश्क मुझे ये आंसू अच्छे लगते हैं, मुझे रोने दो। ये गम मुझे अपना सा लगता हैं, इसमें मुझे खोने दो। मेरी मुस्कुराहट तुमने देखी है मगर तुम मुझसे अनजान हो। कभी मेरे सीने से लग कर देखो.... फिर कहोगे की " तुम कितने बेईमान हो"। अक्सर अश्क़ों की छांव मे रात गुजारी है। मैं हँसते हुये रो देता हूं न जाने मुझे ये कैसी बीमारी है। अकेला नही हु मग़र ये तन्हाई बहुत हैं। कभी मेरी आंखों मे झाँक कर देखो ... इन आँसूओ में गहराई बहुत है। -दीपक मीणा गोठवाल ©deep अश्क मुझे ये आंसू अच्छे लगते हैं, मुझे रोने दो। ये गम मुझे अपना सा लगता हैं, इसमें मुझे खोने दो। मेरी मुस्कुराहट तुमने देखी है मगर तुम मुझसे अनजान हो।