"उसे देखकर मैंने अपने होश खो दिए, मेरा प्यार मेरी आंखों के सामने दम तोड़ रहा था ,और मैं कुछ ना कर पाई " कहते कहते निशी का गला रुंध गया। पानी का गिलास गटक कर भरे गले से उसने अपनी सरवाइवल स्टोरी सुनानी जारी किया। एफ एम रेडियो पर उसे बुलाया गया था, मुश्किल हालात में भी अपने हौसले से उसने कितनी जानें बचाई थी। वो रोल मॉडल बन गई थी। निशी उसके दोस्त और उसका मंगेतर सभी ने घूमने जाने का प्रोग्राम बनाया, ट्रैवलर बुक करवा कर वो लोग हिमाचल के चम्बा जिले को घूमने निकल गए। पहाड़ी रास्ता, मगर रोमांचक यात्रा थी । चम्बा, खजियार,डलहौजी देखने के बाद वो लोग वापिस दिल्ली के लिए रवाना हो रहे थे तो किसी ने बताया वहां भरमौर में चौरासी मंदिर है जहाँ धर्मराज जी का एकमात्र मंदिर भी स्थित है तो उन्होंने वहां जाने की सोच ली । वहां का रास्ता कहने को तो नैशनल हाइवे था मगर बेहद संकरा होने के साथ खतरनाक भी था ,एक ओर नदी गहरी और दूसरी तरफ पहाड़ी ढलान । मंदिर से वापसी में गाड़ी की ब्रेक फेल हो गई और अनियन्त्रित गाड़ी गहरी खाई में जा गिरी। "सब लोग दर्द से चिल्ला रहे थे, जब मैंने आँखें खोली तो नदी का शोर मेरे कानों में साफ सुनाई दे रहा था।" देखा तो राजीव खून से लथपथ उसके सामने था और उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी ।एक पल को लगा मानों सब कुछ खत्म हो गया ,मगर ऐसे हिम्मत खोकर तो सच में सब कुछ खो देती । हाथ बढ़ाकर मैंने अपना फोन निकाला और मदद के लिए इमरजेन्सी काल किया। उस समय मुझे दर्द का एहसास होना बंद हो गया था और मैंने अपने दुपट्टे से अपनी टांग बांध कर आगे सरकना शुरू किया । मोबाइल की लाइट में बदहवास मैं सबके नाम पुकार रही थी हर तरफ खून फैला था ,कैसे करके मैं बाहर निकली तो सामने नदी बहती देख और डर गई ,हिम्मत कर नदी से अंजुली भर पानी लाकर सबको होश में लाने की कोशिश की । कुछ लोग ठीक थे ,डर की वजह से बेहोश थे ,और कुछ का पता नहीं क्या होना था । मैंने राजीव को होश में लाने की कोशिश की मगर वो कुछ कहने की हालत में नहीं था , सब लोगों ने फोन लगाने की कोशिश की मगर वहाँ तो नेटवर्क ही गायब हो गया। मगर सर्चिंग टीम मेरी लोकेशन से वहां सडक तक पहुंचने में कामयाब हुई। राजीव को सबसे गम्भीर चोटें आई थीं। हम ऐसी जगह थे कि टीम वहां तक नहीं आ पा रही थी तो राजीव को कम्बल पर लिटाकर मैंने उसे गाड़ी से बाहर खींचा और नदी में धकेल दिया और उसकी खत्म होती सांसों को लेकर मैं भी ठंडे पानी में तैर कर टीम तक पहुँच गई । शायद वो लोग मेरे दोस्तों तक पहुँच जाऐंगे मैंने उनको बात करते सुना, "लड़की को भी बचाओ,उसकी हालत गंभीर है। लड़का ठीक हो जाएगा जानलेवा चोट नहीं है" "मैंने होश खोने से पहले आखिरी शब्द यही सुने " निशी बोली। शरीर पर ढेरों चोटें थीं, कई हड्डियां टूट गई थीं मगर अपने प्यार को खोने का दर्द उन सब दर्द पर हावी हो गया और समझदारी की वजह से सबकी जान बचाई जा सकी । वक्त आने पर हिम्मत और साहस के साथ संयम से काम लेने से हर मुश्किल से लड़ा जा सकता है। #Hosh_khona #Kahaniya #storytelling #nojotoquotesforall #nojotowritersclub #nojotohindi #anshulathakur #good_bye_kahaniya #अलविदा_जनवरी "उसे देखकर मैंने अपने होश खो दिए, मेरा प्यार मेरी आंखों के सामने दम तोड़ रहा था ,और मैं कुछ ना कर पाई " कहते कहते निशी का गला रुंध गया। पानी का गिलास गटक कर भरे गले से उसने अपनी सरवाइवल स्टोरी सुनानी जारी किया। एफ एम रेडियो पर उसे बुलाया गया था, मुश्किल हालात में भी अपने हौसले से उसने कितनी जानें बचाई थी। वो रोल मॉडल बन गई थी। निशी उसके दोस्त और उसका मंगेतर सभी ने घूमने जाने का प्रोग्राम बनाया, ट्रैवलर बुक करवा कर वो लोग हिमाचल के चम्बा जिले को घूमने निकल गए। पहाड़ी रास्ता, मगर रोमांचक यात्रा थी । चम्बा, खजियार,डलहौजी देखने के बाद वो लोग वापिस दिल्ली के लिए रवाना हो रहे थे तो किसी ने बताया वहां भरमौर में चौरासी मंदिर है जहाँ धर्मराज जी का एकमात्र मंदिर भी स्थित है तो उन्होंने वहां जाने की सोच ली । वहां का रास्ता कहने को तो नैशनल हाइवे था मगर बेहद संकरा होने के साथ खतरनाक भी था ,एक ओर नदी गहरी और दूसरी तरफ पहाड़ी ढलान । मंदिर से वापसी में गाड़ी की ब्रेक फेल हो गई और अनियन्त्रित गाड़ी गहरी खाई में जा गिरी। "सब लोग दर्द से चिल्ला रहे थे, जब मैंने आँखें खोली तो नदी का शोर मेरे कानों में साफ सुनाई दे रहा था।" देखा तो राजीव खून से लथपथ उसके सामने था और उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी ।एक पल को लगा मानों सब कुछ खत्म हो गया ,मगर ऐसे हिम्मत खोकर तो सच में सब कुछ खो देती । हाथ बढ़ाकर मैंने अपना फोन निकाला और मदद के लिए इमरजेन्सी काल किया। उस समय मुझे दर्द का एहसास होना बंद हो गया था और मैंने अपने दुपट्टे से अपनी टांग बांध कर आगे सरकना शुरू किया । मोबाइल की लाइट में बदहवास मैं सबके नाम पुकार रही थी हर तरफ खून फैला था ,कैसे करके मैं बाहर निकली तो सामने नदी बहती देख और डर गई ,हिम्मत कर नदी से अंजुली भर पानी लाकर सबको होश में लाने की कोशिश की । कुछ लोग ठीक थे ,डर की वजह से बेहोश थे ,और कुछ का पता नहीं क्या होना था । मैंने राजीव को होश में लाने की कोशिश की मगर वो कुछ कहने की हालत में नहीं था , सब लोगों ने फोन लगाने की कोशिश की मगर वहाँ तो नेटवर्क ही गायब हो गया।