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मंजिल हमसे दूर हम हौसलों के करीब थे किस्मत बदली सा

मंजिल हमसे दूर हम हौसलों के करीब थे किस्मत बदली साहब हमने क्योंकि हम गरीब थे पेट की आग लगी थी पीछे इतने बुरे मेरे नसीब थे मैं क्या करता उस बदहाली मैं जहां लोग कहते तेरे बड़े भी फकीर थे

©Shoyabkhan #kamyab
मंजिल हमसे दूर हम हौसलों के करीब थे किस्मत बदली साहब हमने क्योंकि हम गरीब थे पेट की आग लगी थी पीछे इतने बुरे मेरे नसीब थे मैं क्या करता उस बदहाली मैं जहां लोग कहते तेरे बड़े भी फकीर थे

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Shoyabkhan

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