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हां ना हां ना करते-करते , फिर से हो गये हम तैयार

हां ना हां ना करते-करते , 
फिर से हो गये हम तैयार
उस चितवन सुन्दरी को पाने को
जिसका कर रहे थे 
हम वर्षों से यहां इन्तजार ।
बढ़ चले यह सोचकर, 
कि जो होगा वो होगा
अभी तो कम से कम 
उनसे मिलने के लिए तो चलें।
प्यार है शायद फिर से कुछ हो जाये..
धड़क उठा दिल 
कि उनसे मिलकर क्या बोलेंगे,
गया माथा ठनक
कि अभी तक तैयार ही नही हुए 
तभी उनसे मिलने से पहले 
मित्रों की मदत से एक चिट्ठी किए तैयार,
उधर मन भी हो गया तैयार 
कि हर एक वार का उत्तर देंगे,
भले ही वो 
एक बार फिर से क्यों ना हो जाएँ दूर।
प्यार के इसी उधेर बुधेर मे रह गये हम
और वे कहा से कहा निकल गए, 
जब आंख खुली तो 
सामने एक सीसा नजर आया,
उसमे जब देखे तो, 
सिर्फ और सिर्फ ख़ुद को ही पाया,
देखकर इतना ही बोले कि हम इतने भी बुरे नही
जितना खुद को अबतलक बुरा समझता आया।
प्यार है शायद फिर से कुछ हो जाये....
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’
www.nayaksblog.com

©AJAY NAYAK
  #sadak 
हां ना हां ना करते-करते , 
फिर से हो गये हम तैयार
उस चितवन सुन्दरी को पाने को
जिसका कर रहे थे 
हम वर्षों से यहां इन्तजार ।
बढ़ चले यह सोचकर, 
कि जो होगा वो होगा
ajaynayak1166

AJAY NAYAK

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#sadak हां ना हां ना करते-करते , फिर से हो गये हम तैयार उस चितवन सुन्दरी को पाने को जिसका कर रहे थे हम वर्षों से यहां इन्तजार । बढ़ चले यह सोचकर, कि जो होगा वो होगा #कविता

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