मेरे ख़्वाबों के पहरेदार अब तो आजा, हुई इंतिहा इंतजार की अब तो आजा, रात की बेकरारी का आलम क्या बताएं, इंतजार में हर पल खुली आंखों से बिताएं, इंतजार में रोज़ तिनका तिनका बिखर रहें हैं, इंतजार के लम्हे कहीं जां हमारी ना ले जाएं। ♥️ Challenge-513 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।