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बिखरी मेरी हर ख्वाहिश, को समेट लेना चाहता हुं। पुर

बिखरी मेरी हर ख्वाहिश,
को समेट लेना चाहता हुं।
पुरोकर फिर से उसे एक,
 नया आकार देना चाहता हुं।।

©अदृश्य रंग
  # नया आकार

# नया आकार #जानकारी

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