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अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी

अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे चल दिए थे,वही लोग भुरभुरा के शब्द सुनकर जमीन पर धड़ाम से गिर गए थे और तब तो उनका प्राणान्त ही हो जानेवाला था जब उन्हें पता चला वह कल्पना एक नमक की बोरी की थी, तो क्यों आपका भी पढ़ा-लिखा यहाँ फेल होता नज़र आ रहा था न!!!
तो इस अल्कोहल की महिमा इतनी है तो क्यों न खोला जाएगा भैया मदिरालय विद्यालय की जगह।
खैर लगता है कि मैं विषयवस्तु से भटक गया था,अब लौट आया हूँ:-
एक शिक्षक ऐसा होना चाहिए जो बच्चों को समझे,उन्हें न पढ़ने की इच्छा पर भी पढ़ने पर विवश कर दे अपनी छड़ी या डाँट से नहीं ,अपितु अपने बुद्धि कौशल से ऐसा ही कुछ मैंने अपने सहकर्मी शिक्षक में देखा मतलब बिना अल्कोहल के सेवन के,मदिरा के बिना सेवन के जो मैं भी नहीं करता उपरोक्त महानुभाव की तरह ...
उस बुद्धि -कौशल वाले शिक्षक और मेरे प्रिय मित्र का नाम है दीपक सर जिन्हें लोग भले ही मस्तीखोर कह ले मैं तो एक आदर्श शिक्षक कहुँगा क्योंकि जब उन्हें विद्यालय में बच्चों को नवीं कक्षा में सामाजिक अध्ययन के अंतर्गत गणित शिक्षक होने पर भी इतिहास पढ़ाते देखा तो उनके बुद्धि -कौशल का मैं भी कायल हो गया,क्योंकि वह बच्चा जिसने पढ़ने में अभिरुचि न हो और वो बच्चा जब ऐसे विषय को पढ़ना चाहे जिस विषय के बारे में ये भ्रान्तियाँ प्रसिद्ध हैं कि ये ऐसा विषय है जो रात से दिन तक का सफ़र भी तय नहीं करता तो शिक्षक में तो बात है ।

©Bharat Bhushan pathak अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे चल दिए थे,वही लोग भुरभुरा के शब्द सुनकर जमीन पर धड़ाम से गिर गए थे और तब तो उनका प्राणान्त ही हो जानेवाला था जब उन्हें पता चला वह कल्पना एक नमक की बोरी की थी, तो क्यों आपका भी पढ़ा-लिखा यहाँ फेल होता नज़र आ रहा था न!!!
तो इस अल्कोहल की महिमा इतनी है तो क्यों न खोला जाएगा भैया मदिरालय विद्यालय की जगह।
खैर लगता है कि मैं विषयवस्तु से भटक गया था,अब लौट आया हूँ:-
एक शिक्षक ऐसा होना चाहिए जो बच्चों को समझे,उन्हें न पढ़ने की इच्छा पर भी पढ़ने पर विवश कर दे अपनी छड़ी या डाँट से नहीं ,अपितु अपने बुद्धि कौशल से ऐसा ही कुछ मैंने अपने सहकर्मी शिक्षक में देखा मतलब बिना अल्कोहल के सेवन के,मदिरा के बिना सेवन के जो मैं भी नहीं करता उपरोक्त महानुभाव की तरह ...
उस बुद्धि -कौशल वाले शिक्षक और मेरे प्रिय मित्र का नाम है दीपक सर जिन्हें लोग भले ही मस्तीखोर कह ले मैं तो एक आदर्श शिक्षक कहुँगा क्योंकि जब उन्हें विद्यालय में बच्चों को नवीं कक्षा में सामाजिक अध्ययन के अंतर्गत गणित शिक्षक होने पर भी इतिहास पढ़ाते देखा तो उनके बुद्धि -कौशल का मैं भी कायल हो गया,क्योंकि वह बच्चा जिसने पढ़ने में अभिरुचि न हो और वो बच्चा जब ऐसे विषय को पढ़ना चाहे जिस विषय के बारे में ये भ्रान्तियाँ प्रसिद्ध हैं कि ये ऐसा विषय है जो रात से दिन तक का सफ़र भी तय नहीं करता तो शिक्षक में तो बात है ।
इसीलिए शिक्षक में ये गुण होने अनिवार्य है:-
अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे चल दिए थे,वही लोग भुरभुरा के शब्द सुनकर जमीन पर धड़ाम से गिर गए थे और तब तो उनका प्राणान्त ही हो जानेवाला था जब उन्हें पता चला वह कल्पना एक नमक की बोरी की थी, तो क्यों आपका भी पढ़ा-लिखा यहाँ फेल होता नज़र आ रहा था न!!!
तो इस अल्कोहल की महिमा इतनी है तो क्यों न खोला जाएगा भैया मदिरालय विद्यालय की जगह।
खैर लगता है कि मैं विषयवस्तु से भटक गया था,अब लौट आया हूँ:-
एक शिक्षक ऐसा होना चाहिए जो बच्चों को समझे,उन्हें न पढ़ने की इच्छा पर भी पढ़ने पर विवश कर दे अपनी छड़ी या डाँट से नहीं ,अपितु अपने बुद्धि कौशल से ऐसा ही कुछ मैंने अपने सहकर्मी शिक्षक में देखा मतलब बिना अल्कोहल के सेवन के,मदिरा के बिना सेवन के जो मैं भी नहीं करता उपरोक्त महानुभाव की तरह ...
उस बुद्धि -कौशल वाले शिक्षक और मेरे प्रिय मित्र का नाम है दीपक सर जिन्हें लोग भले ही मस्तीखोर कह ले मैं तो एक आदर्श शिक्षक कहुँगा क्योंकि जब उन्हें विद्यालय में बच्चों को नवीं कक्षा में सामाजिक अध्ययन के अंतर्गत गणित शिक्षक होने पर भी इतिहास पढ़ाते देखा तो उनके बुद्धि -कौशल का मैं भी कायल हो गया,क्योंकि वह बच्चा जिसने पढ़ने में अभिरुचि न हो और वो बच्चा जब ऐसे विषय को पढ़ना चाहे जिस विषय के बारे में ये भ्रान्तियाँ प्रसिद्ध हैं कि ये ऐसा विषय है जो रात से दिन तक का सफ़र भी तय नहीं करता तो शिक्षक में तो बात है ।

©Bharat Bhushan pathak अन्त में जब विशू ने यह सम्मोहन भुरभुरा के गिर गयी कहकर तोड़ा था तो जो लोग इसे एक अप्सरा समझकर चाँद तारे तक की बात समझ कर सपने में उसके पीछे चल दिए थे,वही लोग भुरभुरा के शब्द सुनकर जमीन पर धड़ाम से गिर गए थे और तब तो उनका प्राणान्त ही हो जानेवाला था जब उन्हें पता चला वह कल्पना एक नमक की बोरी की थी, तो क्यों आपका भी पढ़ा-लिखा यहाँ फेल होता नज़र आ रहा था न!!!
तो इस अल्कोहल की महिमा इतनी है तो क्यों न खोला जाएगा भैया मदिरालय विद्यालय की जगह।
खैर लगता है कि मैं विषयवस्तु से भटक गया था,अब लौट आया हूँ:-
एक शिक्षक ऐसा होना चाहिए जो बच्चों को समझे,उन्हें न पढ़ने की इच्छा पर भी पढ़ने पर विवश कर दे अपनी छड़ी या डाँट से नहीं ,अपितु अपने बुद्धि कौशल से ऐसा ही कुछ मैंने अपने सहकर्मी शिक्षक में देखा मतलब बिना अल्कोहल के सेवन के,मदिरा के बिना सेवन के जो मैं भी नहीं करता उपरोक्त महानुभाव की तरह ...
उस बुद्धि -कौशल वाले शिक्षक और मेरे प्रिय मित्र का नाम है दीपक सर जिन्हें लोग भले ही मस्तीखोर कह ले मैं तो एक आदर्श शिक्षक कहुँगा क्योंकि जब उन्हें विद्यालय में बच्चों को नवीं कक्षा में सामाजिक अध्ययन के अंतर्गत गणित शिक्षक होने पर भी इतिहास पढ़ाते देखा तो उनके बुद्धि -कौशल का मैं भी कायल हो गया,क्योंकि वह बच्चा जिसने पढ़ने में अभिरुचि न हो और वो बच्चा जब ऐसे विषय को पढ़ना चाहे जिस विषय के बारे में ये भ्रान्तियाँ प्रसिद्ध हैं कि ये ऐसा विषय है जो रात से दिन तक का सफ़र भी तय नहीं करता तो शिक्षक में तो बात है ।
इसीलिए शिक्षक में ये गुण होने अनिवार्य है:-