Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat फिर वही रात है। रात काली रातों की। कालें बादलों से घिरे आसमान ने। ख़ुद को तारों से दूर करते चलते । चिल्लातें गरजतें डराते दिल देहकाते। रात के अंधेरे में चलते रहे। कली से काले गुलाबों की । ख़ुशबू मदहोशं कर रही थी। वहीं काली बिल्ली आंखे। खोल चमकती उज्ज्वल सी । ज़िन्दगी की और इशारा कर रही थी। फिर देह में दिल के क़रीब। एहसासों के बेहतर ज़वाब दे रही थी। राखं होते मिनटों में खूबसूरतं देह को जलते देख। ख़ुद को सुलझाने में सवालों। मे उलझे किरदार को वक़्त नहीं दे रही थी। इन सवालों में क्या विचारो को फूंक से रही थी। अरमान अधूरें जो थे उनको । सोच का आंच पर ख़ुद को देख रही थी। घबराती फिर दुनियां से संन्यास लेने की सोचती। बेगरादं दुनियां के सवालों को सोचती धिक्कारती। अब मां के फ़र्ज़ के आगे ख़ुद को अकेला ना समझती। जीने की राह चुनती बस जीने की राह आसान लगती। #feelings #pain #besthindiquotes #yqquotes #yqhindi #yqhindi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat फिर वही रात है। रात काली रातों की। कालें बादलों से घिरे आसमान ने। ख़ुद को तारों से दूर करते चलते । चिल्लातें गरजतें डराते दिल देहकाते।