काफ़ी भयावह सा लगने लगा है, रात का अँधेरा, धुंधला नहीं रहा अब... में कोई लेखक या कवी नहीं, बस कभी कभी लफ़्ज आपे से बाहर हो जाते है, लगता है अब बेनिशाँ होने का वक़्त करीब आ रहा हो मेरे, क़्या पता किस घड़ी वो घेर ले मुझें, और में इसी मेरी अपनी अकेली प्यारीसी रातों के अंधेरों में घुल जाऊ, हा अब डर लगने लगा है... #night #darkness #yqbaba