प्रकृति को चाहने वालों में से एक हूँ इसलिए थोड़ी फ़िक्र करती हूँ ये पेड़ पौधे खुल के मुस्कुरा रहे है अपने हरे होने पर कितना गुमान कर रहे है इनकी ख़ुशी ना छीन लूँ इसलिए थोड़ा डरती हूँ नदियों में कल कल बहते पानी का मैल भी धुल गया बर्फ़ से ढके पर्वतों का मीलों दूर से दीदार भी हो गया एक बार फिर हवाओं में ज़हर ना घोल दूँ इसलिए थोड़ा डरती हूँ आदत सी हो गयी है सुबह उठ आसमान को नीला देखने की शाम छह बजे बाल्कनी में खड़े होकर पहले तारे का इंतज़ार कर मन्नत माँगने की अपनी ख़ुशी ना छीन लूँ स्वार्थी हूँ जानती हूँ पर ये सब तो मन की बात है पटरी से उतरी जिन्दगियों को भी उनकी मंज़िल तक पहुँचना है खर्च हुए पैसों को भी फिर से जोड़ना है कही देर ना हो जाए ये भी सोचती हूँ #lockdown #nature #covid19 #coronavirus Once the life slowly resumes during Covid 19, hope that we behave responsibly towards each other and the nature.