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सिसक सिसक कर जिया तुझे गम सावन सा बरसाया है हर्

सिसक सिसक कर जिया तुझे 
गम सावन सा  बरसाया है 
हर्फ़ हर्फ़ मे लिखा तुझे 
नज्म नज्म मे गाया है 
हर नजर मे देखा तुझको 
हर ख्याब तेरा ही आया है 
हर पल तुझको खोया मैंने 
हर पर तुझको पाया है 
दूर तुम हमेशा रहे मुझसे 
पर जुदा खुद से ना कभी पाया है 
हर जर्रे मे तुम हो शामिल 
बंद पलकों पर भी तेरा साया हैँ 
शुक्रिया तेरा अदा करू या खुदा का 
इबादत सा इश्क़ जो मैंने पाया है 
         अभिषेक धनंजय
सिसक सिसक कर जिया तुझे 
गम सावन सा  बरसाया है 
हर्फ़ हर्फ़ मे लिखा तुझे 
नज्म नज्म मे गाया है 
हर नजर मे देखा तुझको 
हर ख्याब तेरा ही आया है 
हर पल तुझको खोया मैंने 
हर पर तुझको पाया है 
दूर तुम हमेशा रहे मुझसे 
पर जुदा खुद से ना कभी पाया है 
हर जर्रे मे तुम हो शामिल 
बंद पलकों पर भी तेरा साया हैँ 
शुक्रिया तेरा अदा करू या खुदा का 
इबादत सा इश्क़ जो मैंने पाया है 
         अभिषेक धनंजय