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कदम अब लड़खड़ाने लगे हैं मंज़िलों को चिढ़ाने लगे हैं

कदम अब लड़खड़ाने लगे हैं 
मंज़िलों  को चिढ़ाने लगे हैं 
उठती गिरती कोशिशों से 
हौंसले अब डगमगाने लगे हैं 

हाँ  शायद कमजोर मेरे इरादे थे 
अपेक्षाओं के बोझ से भी आधे थे

हार की गूँज अब भी बरकरार है 
फिर से मुझे नई सुबह की दरकार है
 
उम्मीदों की चुभन भेदती हर बार है 
हाँ मुझे नए हौंसलो की तलाश है #new hope
कदम अब लड़खड़ाने लगे हैं 
मंज़िलों  को चिढ़ाने लगे हैं 
उठती गिरती कोशिशों से 
हौंसले अब डगमगाने लगे हैं 

हाँ  शायद कमजोर मेरे इरादे थे 
अपेक्षाओं के बोझ से भी आधे थे

हार की गूँज अब भी बरकरार है 
फिर से मुझे नई सुबह की दरकार है
 
उम्मीदों की चुभन भेदती हर बार है 
हाँ मुझे नए हौंसलो की तलाश है #new hope
alkadua8960

Alka Dua

New Creator