कदम अब लड़खड़ाने लगे हैं मंज़िलों को चिढ़ाने लगे हैं उठती गिरती कोशिशों से हौंसले अब डगमगाने लगे हैं हाँ शायद कमजोर मेरे इरादे थे अपेक्षाओं के बोझ से भी आधे थे हार की गूँज अब भी बरकरार है फिर से मुझे नई सुबह की दरकार है उम्मीदों की चुभन भेदती हर बार है हाँ मुझे नए हौंसलो की तलाश है #new hope