रात भर जागा दिन भर सोचा। और लगा लिए दो चार जाम।। लोग है जागते अपनी आशिकी के कारण। और मैं जागा अपनी इस आतिशी के कारण।। लिखा है मैने कुछ कल रात को। शायद बयाँ कर पाया हूँ मैं अपने जज़्बात को।। आँखों से है छलके कुछ गीत। याद आया मुझे वहीं पुराना मीत।। आँखों में जिसकी होता था मेरा सवेरा। उसके जुल्फ़ो मे था मेरी शब का बसेरा।। बातों में थी जिसके शहद सी मिठास। वो थी मेरे जीवन की एकमात्र आस।। #कोआ़न #meet #preet #bebasi #shayari #himanshujhaquotes #अपरिचित