हर एक नारी के जीवन का, अचल सम्मान है कविता। हमारे देश की भी अस्मिता, का मान है कविता। हर एक सैनिक के तन मन में, प्रबल उत्साह जो भर दे। समर में गूंजते जय हिंद का जय गान है कविता। हृदय की भावनाओं में, निहित सद्भाव है कविता। भंवर में डूबते अस्तित्व, की तो नाव है कविता। भयानक गर्मियों में जल रहे सूरज की किरणों से। भटकते उस बटोही के लिए, तरू छांव है कविता। बनारस का सवेरा, लखनऊ की शाम है कविता। सजी दुल्हन की मेंहदी में, छुपा वर नाम है कविता। कभी जब पाप से होकर ग्रसित, मन क्षुब्ध सा हो तो। जो कर दें शुद्ध जीवन को, वो चारों धाम है कविता। प्रभु श्री कृष्ण की मुरली का मधुरिम राग है कविता। भ्रमर तितली सुगंधित पुष्प सज्जित बाग है कविता। करें नि: वस्त्र पांचाली को जब प्रतिशोध वश कौरव। तो प्रभु श्री कृष्ण के मन में दहकती आग है कविता। प्रभु श्रीकृष्ण के सद्ज्ञान का विस्तार है कविता। हमारी प्राणवायु का, प्रखर उद्गार है कविता। स्वयं की आत्मनिष्ठा से, करे जो काव्य की पूजा। तो उस साहित्य साधक के लिए संसार है कविता। ✍️ "पुष्कर सांकृत्यायन" ©PUSHKAR SHUKLA बनारस का सवेरा, लखनऊ की शान है कविता... #India