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अभी ये पुख़्ता नहीं के किधर को जाना है मैं रूह क

अभी ये पुख़्ता नहीं के किधर को जाना है
मैं  रूह  की सुनूं या ख़्वाब ही मिटाना है

©Jitendra Verma "परिंदा" 1212 1122 1212 22
अभी ये पुख़्ता नहीं के किधर को जाना है
मैं  रूह  की सुनूं या ख़्वाब ही मिटाना है

©Jitendra Verma "परिंदा" 1212 1122 1212 22