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कभी अदाओं से तो कभी नजरों से,इजहार कर गया। हाल पू

कभी अदाओं से तो कभी नजरों से,इजहार कर गया। 
हाल पूँछ-पूँछ कर,वो खुद को मेरा तलबगार कह गया। 
झूँठ कह रहा था मैं जिसे,उसी पर एतबार कर गया। 
मिजाज बदले-बदले से हैं अब,इश्क का बुखार चढ़ गया।
कभी अदाओं से तो कभी नजरों से,इजहार कर गया। 
हाल पूँछ-पूँछ कर,वो खुद को मेरा तलबगार कह गया। 
झूँठ कह रहा था मैं जिसे,उसी पर एतबार कर गया। 
मिजाज बदले-बदले से हैं अब,इश्क का बुखार चढ़ गया।