यह रात होते होते न जाने क्या हो जाता मुझे, रचनात्मकता की जल जाती है मशाल, जो रात्रि को बनादेती है दिन ही की प्रकार। यही तो मेरी तपस्या का होता है समय, जहां drums rap और poetry का होता है मिलन, जिससे उत्तपन होती है एक व्याख्या, नटराज और इंसान को एक सार में बांधने की कला, और वो है कला, वो है कला की रचना, जिसके आश्रय में हो जाता हूं फना, जहां होती है हर रोज़ ईश्वर की आराधना, ©Akhil Kael absolute surrender to god