अब जो आओ मेरे शहर, दो पल की फ़ुर्सत संग लाना, इत्मिनान से बैठें हम तुम, ऐसी इक़ घड़ी संग लाना हँस दे रोती आँखें भी, तुम अपनी बातें संग लाना, तुम बिन जीना सीखा दे जो, वो नुस्ख़ा संग लाना अलविदा कह सकू तुम्हें, मेरी हिम्मत संग लाना, आख़िरी मुलाक़ात है ये, कोई बहाना ना बनाना जानती हूँ मसरूफ़ हो, पर एक लम्हा दे जाना, जाते जाते एक मुस्कान में ही, मेरी मोहब्बत संग ले जाना #फ़ुर्सत #मिलन #आख़िरी_मुलाक़ात #अलविदा #मोहब्बत #yqdidi #yqbaba #drgpoems Photo credits: skogshymn instagram handle