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भटकना पसन्द नही मुझे यूं ही राहो पर , मैं तो बस मह

भटकना पसन्द नही मुझे यूं ही राहो पर , मैं तो बस महफूज़ होना चाहता हूँ 
तु क्यु रोलाने को लगी है
 ए जिंदगी
मै अभी  ओर खुश होना चाहता हूॅ

मेरे किरदार में समझ की  कमी खल रही है ज़रा
ज़रा भोला हूं मैं
तु क्यु नही समझती ,मैं भी समझदार होना चाहता हूॅ
और
मुझ पर तु यूं गमो की बारिश ना कर
मुझे बैठा रहने दे 
माँ की गोद में अभी 
मैं बैठकर के गौतम बुद्ध होना चाहता हूॅ

तु भी देख  ठहकर कि रुकने में भी सुकून मिल जाता है कई बार
ए जिंदगी
आ पास बैठ 
मैं तुझसे ही तुझ ही की दो-चार बाते ओर कहना चाहता हूँ! 

:अविका राठी (pearlikA) #भटकाव
भटकना पसन्द नही मुझे यूं ही राहो पर , मैं तो बस महफूज़ होना चाहता हूँ 
तु क्यु रोलाने को लगी है
 ए जिंदगी
मै अभी  ओर खुश होना चाहता हूॅ

मेरे किरदार में समझ की  कमी खल रही है ज़रा
ज़रा भोला हूं मैं
तु क्यु नही समझती ,मैं भी समझदार होना चाहता हूॅ
और
मुझ पर तु यूं गमो की बारिश ना कर
मुझे बैठा रहने दे 
माँ की गोद में अभी 
मैं बैठकर के गौतम बुद्ध होना चाहता हूॅ

तु भी देख  ठहकर कि रुकने में भी सुकून मिल जाता है कई बार
ए जिंदगी
आ पास बैठ 
मैं तुझसे ही तुझ ही की दो-चार बाते ओर कहना चाहता हूँ! 

:अविका राठी (pearlikA) #भटकाव
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