जिन्द़गी के सारे गुनाहो को कैंद रखा हैं, इसी लिए मेरे हाथों मे एक बैग रखा हैं। तेरे हमसफ़र बन सफर छोड़ने के बाद, बनके खुद का साकी हाथ मे पैग रखा हैं। #प्रभाती #अनुपम_अनूप"भारत"