न दिल का दर्द लिखता हूँ न होठों की मुस्कान लिखता हूँ न कोई बेचैनी न ही अपनी आह लिखता हूँ... मैं कोई शायर तो नहीं पर जब कलम उठता हूँ तो खुद पर हुए ज़ुल्मों का हिसाब लिखता हूँ