जिहाद अगर छोड़ दोगे तो कैसे लड़ोगे खुद की बुराईयों से जो दिल ओ दिमाग मे भरी पड़ी हैं तो कैसे लड़ोगे उन शैतानी ताकतों से जो चट्टानों की तरह भलाई के रस्ते मे खड़ी हैं जिहाद अगर छोड़ दोगे तो कैसे सच्चाई का मान बचाओगे तो कैसे अच्छाई की जान बचाओगे लूटेरे सरेआम कमाई लूटेंगे मेहनतकश बस मदद ऐ खुदा की आस लगाऐंगे मदद जब आऐगी सो आऐगी पर जालिम तब तक जी भर के खून बहाएंगे लड़ना खुद ही होगा,मदद तब ही खुदा की आऐगी जो ना लड़े जुल्म ओ जालिम से गुलाम दुनिया हो जाएगी जिहाद अगर छोड़ दोगे मारूफ आलम ©®कापीराइट ©Maroof alam जिहाद अगर छोड़ दोगे/शायरी