मेरा ईश्क़ महज़ चाहत नहीं इबादत है। मुझे अटकने की नहीं ठहर जाने की आदत है। लौट आना के गर तुम्हे तुमसा ही कोई प्यार मिले। हसरतें बेवजह लौट आएँ तुम्हारे हिस्से में जब इंतज़ार मिले। मैं किताबों का कोई ज़िल्द नहीं के बदल जाऊँगा। मैं अपने ज़ज़्बातों के मानिंद हूँ तुम्हे उसी मोड़ पर मिल जाऊँगा।। - क्रांति #ईश्क़ #इबादत