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मेरे शब्दों से शब्दों का सार नहीं हो तुम , क्यूंकि

मेरे शब्दों से शब्दों का सार नहीं हो तुम , क्यूंकि मैं शब्द हूं शब्द का और तुम मेरे शब्दों का भार नहीं हो।

©hardik Mahajan 1)
जीवन के एक-एक शब्द को सूत्रबद्ध करना और समझना बहुत कठिन है। हर पल शब्दों को खोजना जितना मुश्किल है, हमारे लिखें हुए हर शब्द को शुरू से अंत तक शब्दों में ढालना उतना ही मुश्किल हैं।
✍️✍️हार्दिक महाजन

2)
 हर शब्द को क्यों तलाशें, अब तो शब्द भी याद नहीं आते, दिल और दिमाग़ की हालत ऐसी है कि शब्द भी मस्तिष्क से नहीं निकल नहीं पाते।
✍️✍️हार्दिक महाजन
मेरे शब्दों से शब्दों का सार नहीं हो तुम , क्यूंकि मैं शब्द हूं शब्द का और तुम मेरे शब्दों का भार नहीं हो।

©hardik Mahajan 1)
जीवन के एक-एक शब्द को सूत्रबद्ध करना और समझना बहुत कठिन है। हर पल शब्दों को खोजना जितना मुश्किल है, हमारे लिखें हुए हर शब्द को शुरू से अंत तक शब्दों में ढालना उतना ही मुश्किल हैं।
✍️✍️हार्दिक महाजन

2)
 हर शब्द को क्यों तलाशें, अब तो शब्द भी याद नहीं आते, दिल और दिमाग़ की हालत ऐसी है कि शब्द भी मस्तिष्क से नहीं निकल नहीं पाते।
✍️✍️हार्दिक महाजन