क्योंकर उठे मेरी कलम से अब ख़ुशबू इश्क़ ओ गुलाब की रंजीदा बेहद है ये मुल्क़ में बढ़ती हुई सियाहकारी देख कर Fizuliyat revisited 3/9/20 @Hathras, Balram ... YourQuote Baba