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जिस्म तो बहुत संवर चुके रूह का सिंगार कीजिये । फूल

जिस्म तो बहुत संवर चुके रूह का सिंगार कीजिये ।
फूल शाख से न तोड़िये खुश्बुओं से प्यार कीजिये ।।
आफ़ताब ढल गया तो क्या सुबह ज़रूर आएगी ।
शर्त इतनी है कि वक़्त का थोड़ा इन्तिज़ार कीजिये ।। #nojoto #poetryonline #brightness #spread_love #love #intezaar #meaning_of_life
जिस्म तो बहुत संवर चुके रूह का सिंगार कीजिये ।
फूल शाख से न तोड़िये खुश्बुओं से प्यार कीजिये ।।
आफ़ताब ढल गया तो क्या सुबह ज़रूर आएगी ।
शर्त इतनी है कि वक़्त का थोड़ा इन्तिज़ार कीजिये ।। #nojoto #poetryonline #brightness #spread_love #love #intezaar #meaning_of_life