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खामोशियों के एवज में कुछ जवाब खरीदे हैँ बेचकर कुछ

खामोशियों के एवज में कुछ जवाब खरीदे हैँ 
बेचकर कुछ ख्वाबों को कुछ ख्वाब खरीदें हैँ...

मुद्दत हुई है चमन से तिजारत करते-करते
बेचकर कुछ काँटों को कुछ गुलाब खरीदें हैँ..
घिरा है वजूद तमाम रुस्वाइयों से मेरा
बेचकर अँधेरे मैंने रोशन आफ़ताब खरीदें हैँ...

बेचकर कुछ ख्वाबों को कुछ ख्वाब खरीदें हैँ...

©RJ Shatakshi
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satakshigupta5097

RJ Shatakshi

Bronze Star
New Creator

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