मैं हटा देता हूँ सब, #आईने अपने घर के.. उनमें देखूं भी तो क्या देखूं, मेरे चेहरे पर तेरे #एहसास की #हज़ारों परतें जमी है.. जब भी देखता हूँ आईना #मैं तेरे जैसा दिखता हूँ.. मेरा आईना तो तुम्हारी #आँखे है बस एक तुम्हारी आँखों में ही मैं, मेरा सारा #जहाँ देखता हूँ.. तुम्हारी यादों में खोता हूँ कुछ इस कदर के कभी #अल्फाज भूल जाता हूँ कभी #अंञा भूल जाता हूँ.... तुम्हारे खयाल में इस क़दर डुब जाता हूँ की अपनी #साँस भूल जाता हूँ.... #प्रेमी जैसे #लिपटी रहती हैं तेरी याद मेरी #साँसों से,,,, वैसे मेरी #रुह को तुम्हारे #खयाल से #लिपटा पाता हूँ,, उठकर तुम्हारी #यादों से जो दुर चल दूँ तो..?!?!?!?! जाते हुए खुद को #बेजान और #नीरस पाता हूँ.......!.!.!.!.!