भारतीय चिंतन में उन लोगों को ही राक्षस ऐश्वर्या देते कहा गया है जो समाज में तरह से तरह की अशांति पिलाते हैं असल में इसी तरह के दान भी सोच वाले लोग सिर्फ अपना स्वार्थ देखते हैं ऐसे लोग धन संपत्ति आदि के जरिए सिर्फ अपना ही उत्थान करना चाहते हैं भले ही इसी कारण दूसरे लोगों और पूरे समाज का कोई आहित क्यों ना हो राहों धर्म कहता है कि विश्वकोश लिस्ट बनाओ यह रिश्ता तभी ही आएगी जब कुटिल चालों से मानवता की रक्षा की जाएगी आज भौतिक मूल्य समाज में अपनी जड़ें इतनी गहरी जमा चुके हैं कि उन्हें अनमूलन करना आसान नहीं है मनुष्य का कर्म दूषित हो गया यदि धर्म को उसके स्थान पर सुरक्षित रखा गया हो तो इतनी मार काट ना होती सातो का कहना है कि समाज की बुनियादी इकाई मनुष्य हैं मनुष्य के मेल से समाज और समाजों के मेल से राष्ट्रीय बनता है ©Ek villain #Relationship #भारतीय चिंतन में उन लोगों को ही राक्षस सूर्य दत्त कहा गया है जो समाज में तरह-तरह की आशांति फैलाते हैं