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उसका चेहरा उदास था।आज शाम से ही वो आसमान में निहार

उसका चेहरा उदास था।आज शाम से ही वो आसमान में निहारे जा रहा था, शायद उसे किसे के आने का इंतजार था। और आसमान में शायद वो तारों की तरफ निहार कर शायद तारों से उस अजनबी दोस्त के आने का समय पूछ रहा है। उसके मन में बचपन जे वही दादी - नानी के किस्से आज भी मन में घर किये बैठें है जैसे आसमान में चांद तारों और परियों से बातें होती हैं। चांद तारें दूर से ही हमारी मन की आवाज़ सुन हमें आने वाली आहट का इशारा कर देतें हैं। आज भी वो बचपन की उन्हीं दादी _ नानी की कहानियों को याद कर चांद तारों को आसमान में देख एक टक निहारे जा रहा था।

©Sardar Jagjeetsingh Kalra
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