हे मेघराज अब तो तुम बरसो ये वसुधा प्यासी अब तो बरसो जल बिन तरसे सब पुकार रहे, जीव,जंतु हैं प्यासे अब तो बरसो रचनाकार-कवि अरुण चक्रवर्ती गुरसहायगंज ©Poet Arun Chakrawarti,Mo.9118502777 हे मेघराज तुम बरसो