सोच हिज़्र-रुत कभी वो आये ही नही ब्याह लायक बताये जो कुंडी खटखटाये ही नही नींदे उड़ाए कोई घर जमाई बन जाये वही ताना दिए बगैर तेरे खुशी छाये ही नही गुफ्तगू करे हम बे-आवाज़ इशारों अदा से फिदा हुए लोग पर समझ पाये ही नही श्रावण पूर्णिमा से पहले तही-जेब थी सारी सलामती मिरी तोहफ़तन कुछ और जताये ही नही! #happyrakshabandhan तोहफतन मिली तू है मुझे खोना ना चहु कभी तुझे #हमशीरा