तेरे बिना हर रात बिख़र जाता हूं बड़ी मायूसी से बस ख्व़ाबों को गले लगाता हूं बिन तेरे इन ख्व़ाबों का भी क्या वजूद, कैसे समझाऊं इस रात को, की बिना चांद के तेरा भी क्या वजूद ।। ©Manas Krishna #parent