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"फ़िर कहीं किसी रोज़" फिर कहीं किसी रोज़ मिलेंगे

"फ़िर कहीं किसी रोज़"

फिर कहीं किसी रोज़ मिलेंगे तुमसे  
शायद किसी और दुनिया में  
वक़्त के किसी और सांचे में, 
जहां मिलेंगे बैठ कर बातें करेंगे, 
कुछ अनकही जो कभी सुनी ही नहीं, 
बैठकर एक दूसरे को सुनेंगे, 
मैं हाथ थाम लूँगा तुम्हारा, 
बस तुम निभाने का वादा करना, 
कुछ इस तरह तुम मुझे उस जहां में मिलना, 
जो जाति धर्म और समाज से परे हो, 
जहां न कोई रोक टोक हो, 
जहां नफ़रते नहीं बस प्यार हो, 
जहां एक अलग दुनिया बसती हो!!
जहां तुम सिर्फ तुम हो और मैं सिर्फ मैं, 
जहां अलग मंजिल हो अलग ख्वाब हो, 
पर रास्ता एक हो, 
फ़िर कहीं किसी रोज़ मिलेंगे तुमसे, 
शायद किसी और दुनिया में, 
वक़्त के किसी और सांचे में.....

©parijat #fir#kahin#kisi#roj

#together
"फ़िर कहीं किसी रोज़"

फिर कहीं किसी रोज़ मिलेंगे तुमसे  
शायद किसी और दुनिया में  
वक़्त के किसी और सांचे में, 
जहां मिलेंगे बैठ कर बातें करेंगे, 
कुछ अनकही जो कभी सुनी ही नहीं, 
बैठकर एक दूसरे को सुनेंगे, 
मैं हाथ थाम लूँगा तुम्हारा, 
बस तुम निभाने का वादा करना, 
कुछ इस तरह तुम मुझे उस जहां में मिलना, 
जो जाति धर्म और समाज से परे हो, 
जहां न कोई रोक टोक हो, 
जहां नफ़रते नहीं बस प्यार हो, 
जहां एक अलग दुनिया बसती हो!!
जहां तुम सिर्फ तुम हो और मैं सिर्फ मैं, 
जहां अलग मंजिल हो अलग ख्वाब हो, 
पर रास्ता एक हो, 
फ़िर कहीं किसी रोज़ मिलेंगे तुमसे, 
शायद किसी और दुनिया में, 
वक़्त के किसी और सांचे में.....

©parijat #fir#kahin#kisi#roj

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