वह कॉलेज की मस्ती तेरे मेरे प्यार की कश्ती जिस पर होकर सवार किया हमने संग इजहार सावन आया बहारें झूमीं बसंत भी हुआ फुहार फिर छाई बदरी कारी तेरे मेरे प्यार की कश्ती डूब गई भंवर में सारी हुआ अंधियारा जीवन में प्रेम हुआ सूना मन आंगन में आज फिर बदरी है छाई बरसो बाद मिले तुम हो राही पर तुम मिले भी तो अब जब रुखसत होने की घड़ी है आई। #वो कॉलेज के दिन भी क्या दिन थे #मस्ती#क्षति#प्यार#जीवन #nojotoapp#nojotohindi