किसी से सुना था कि, मन की व्यथा को कागज़ो पर उकेर देने से मन हल्का हो जाता है, इसलिए मैंने लिख दी है, उन सारी बातों को, जो न जाने कितनी रातें जग-जग कर हमने किए थे, सारी यादों को भी कागज़ के टुकड़े पर लिख दिया है मैंने और उस कागज़ के टुकड़े को लिफ़ाफ़े में बंद करके रख दिया है, बहुत संभाल कर अलमारी के एक कोने मे ! उम्मीद करता हूँ कि यह लिफ़ाफ़ा भी गुम हो जाएगा जैसे ध्यान से रक्खी हुई चीजें अक्सर गुम हो जाया करती हैं, ताकि इसी के साथ गुम हो जाए, उसकी सारी यादें तथा उसके विरह का ग़म भी दूर हो जाए सदा के लिए ! "अंकित आजाद गुप्ता" ©AV0007 #मन_की_व्यथा