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मैं गांठ हृदय का खोलूँ क्या , कंधे पर सिर रख रोलूँ

मैं गांठ हृदय का खोलूँ क्या ,
कंधे पर सिर रख रोलूँ क्या ।

तुम आंखों से सब पढ़ लो ना ,
मैं मुँह से आखिर बोलूं क्या ।

ये इश्क़ मोहब्बत प्यार वफ़ा ,
तुम छोड़ चले मैं ढो लूँ क्या ।

कुछ दूर अभी अंधियारा है ,
मैं साथ तुम्हारे हो लूँ क्या ।

कई रंग उभर के आयेंगे आंखों में सपने घोलूँ क्या ।
शायद वापस आजाये बचपन,
माँ की गोद में सो लूँ क्या ।

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  #cactus  "सीमा"अमन सिंह