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इक दियाँ जलने लगा जब , घोर अंधेरी रात में। देख पुल

इक दियाँ जलने लगा जब , घोर अंधेरी रात में।
देख पुलकित हो गये सब , जो भी थे अंधकार में।।

आस न थी चलने की पर , जीत का विश्वास हैं।
मन में उज्ज्वल हो रहा जो , ज्ञान का प्रकाश हैं।।

इस दिवाली मन में तुम , ज्ञान का दीपक जलाओ।
दिल में है जो गम अंधेरा , उसमें भी खुशियाँ लाओ।।

बस यही प्रार्थना हैं ,  तुमको खुशियाँ अपार मिलें।
सुख हो ,शांति ,समृद्धि हो , दौलत का भंडार मिलें।।

Aniket mishra इक दियाँ जलने लगा जब , घोर अंधेरी रात में।
देख पुलकित हो गये सब , जो भी थे अंधकार में।।

आस न थी चलने की पर , जीत का विश्वास हैं।
मन में उज्ज्वल हो रहा जो , ज्ञान का प्रकाश हैं।।

इस दिवाली मन में तुम , ज्ञान का दीपक जलाओ।
दिल में है जो गम अंधेरा , उसमें भी खुशियाँ लाओ।।
इक दियाँ जलने लगा जब , घोर अंधेरी रात में।
देख पुलकित हो गये सब , जो भी थे अंधकार में।।

आस न थी चलने की पर , जीत का विश्वास हैं।
मन में उज्ज्वल हो रहा जो , ज्ञान का प्रकाश हैं।।

इस दिवाली मन में तुम , ज्ञान का दीपक जलाओ।
दिल में है जो गम अंधेरा , उसमें भी खुशियाँ लाओ।।

बस यही प्रार्थना हैं ,  तुमको खुशियाँ अपार मिलें।
सुख हो ,शांति ,समृद्धि हो , दौलत का भंडार मिलें।।

Aniket mishra इक दियाँ जलने लगा जब , घोर अंधेरी रात में।
देख पुलकित हो गये सब , जो भी थे अंधकार में।।

आस न थी चलने की पर , जीत का विश्वास हैं।
मन में उज्ज्वल हो रहा जो , ज्ञान का प्रकाश हैं।।

इस दिवाली मन में तुम , ज्ञान का दीपक जलाओ।
दिल में है जो गम अंधेरा , उसमें भी खुशियाँ लाओ।।