कश्मीर का दर्द घाटी में नित दिन वही बंदूकें गूंजा करती है बम गोलों के गुंजन से जन्नत सहमी सी रहती है माँ का आँचल सूना होता सुहाग किसी का मिटता है हाथों की लाली मिटती है बहने दूबके रोती है फिर भी अपनी सरकारें क्यों मौन धारण कर जाती हैं बहुत हुआ गाँधी का तरीका अब वक्त है बदला लेने का दुश्मन की हर गोली का उत्तर अपनी बोफ़ोर्स से देने का अब वक्त है बदला लेने का अब वक्त है बदला लेने का #Pehlealfaaz शहीदो को समर्पित