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कश्मीर का दर्द घाटी में नित दिन वही बंदूकें ग

कश्मीर का दर्द 




घाटी में नित दिन वही बंदूकें गूंजा करती है 
बम गोलों के गुंजन से जन्नत सहमी सी रहती है 
माँ का आँचल सूना होता 
सुहाग किसी का मिटता है 
हाथों की लाली मिटती है
बहने दूबके रोती है
फिर भी अपनी सरकारें क्यों मौन धारण कर जाती हैं 
बहुत हुआ गाँधी का तरीका 
अब वक्त है बदला लेने का 
दुश्मन की हर गोली का उत्तर अपनी बोफ़ोर्स से देने का
अब वक्त है बदला लेने का 
अब वक्त है बदला लेने का #Pehlealfaaz  शहीदो को समर्पित Arshad ansari Mukeem Khan mark devil Kanchan Tiwari Prathmesh Gawali
कश्मीर का दर्द 




घाटी में नित दिन वही बंदूकें गूंजा करती है 
बम गोलों के गुंजन से जन्नत सहमी सी रहती है 
माँ का आँचल सूना होता 
सुहाग किसी का मिटता है 
हाथों की लाली मिटती है
बहने दूबके रोती है
फिर भी अपनी सरकारें क्यों मौन धारण कर जाती हैं 
बहुत हुआ गाँधी का तरीका 
अब वक्त है बदला लेने का 
दुश्मन की हर गोली का उत्तर अपनी बोफ़ोर्स से देने का
अब वक्त है बदला लेने का 
अब वक्त है बदला लेने का #Pehlealfaaz  शहीदो को समर्पित Arshad ansari Mukeem Khan mark devil Kanchan Tiwari Prathmesh Gawali