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अधरों पर लिखी परिभाषा; बोल उठी थी; जब मैंने शब्दों

अधरों पर लिखी परिभाषा;
बोल उठी थी;
जब मैंने शब्दों में कह कर;
सब स्वीकार किया था;
वो 6 जनवरी की;
एक सर्द सुबह थी;
जब होठों ने;
जज़्बातों को शब्द दिए थे;
और मन की सारी;
पर्देदारी ख़त्म हुई थी;
मन में जो भी संशय था;
सब टूट चुका था;
जीवन को;
नव आकाश मिला था;
ख़ुद को कुछ होने का;
एहसास मिला था;
कुछ दिन में मुझसे मिलने;
तुम फिर आओगी;
मन को यह विश्वास मिला था.....!! #LOVEGRAPHY-6 #विश्वास
अधरों पर लिखी परिभाषा;
बोल उठी थी;
जब मैंने शब्दों में कह कर;
सब स्वीकार किया था;
वो 6 जनवरी की;
एक सर्द सुबह थी;
जब होठों ने;
जज़्बातों को शब्द दिए थे;
और मन की सारी;
पर्देदारी ख़त्म हुई थी;
मन में जो भी संशय था;
सब टूट चुका था;
जीवन को;
नव आकाश मिला था;
ख़ुद को कुछ होने का;
एहसास मिला था;
कुछ दिन में मुझसे मिलने;
तुम फिर आओगी;
मन को यह विश्वास मिला था.....!! #LOVEGRAPHY-6 #विश्वास