अधरों पर लिखी परिभाषा; बोल उठी थी; जब मैंने शब्दों में कह कर; सब स्वीकार किया था; वो 6 जनवरी की; एक सर्द सुबह थी; जब होठों ने; जज़्बातों को शब्द दिए थे; और मन की सारी; पर्देदारी ख़त्म हुई थी; मन में जो भी संशय था; सब टूट चुका था; जीवन को; नव आकाश मिला था; ख़ुद को कुछ होने का; एहसास मिला था; कुछ दिन में मुझसे मिलने; तुम फिर आओगी; मन को यह विश्वास मिला था.....!! #LOVEGRAPHY-6 #विश्वास