White सागर लंबी साँसें भरता है, सिर धुनती है लहर-लहर; बूँदी-बादर में एक वही स्वर गूँज रहा है हहर-हहर। सागर की छाती से उठ कर यह टकराती है कहाँ लहर? जिस ठौर हृदय में जलती है वह याद तुम्हारी आठ पहर। बस एक नखत ही चमक रहा है अब भी काली लहरों पर, जिस को न अभी तक ढँक पाए हैं सावन के बूँदी-बादर। यह जीवन यदि अपना होता यदि वश होता अपने ऊपर, यह दु:खी हृदय भी भर आता भूले दु:ख से जैसे सागर। ©@BeingAdilKhan #sad_quotes