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हम दीये जलाते रहें ,वो हवा उड़ाते रहे .... जाने कौन

हम दीये जलाते रहें ,वो हवा उड़ाते रहे ....
जाने कौन हैं वो हमें इस तरह आजमाते रहें ......

इमान -ए -इश्क ने हमे कर्जदार कर दिया 
वो जमीर अपना  बेच-बेच कर खाते रहें ....

जफां के हाथों  ने वफ़ा को  मार डाला 
वो गीत गैरों के गुनगुनाते रहें 

किसपे यकीं किसका एतबार हो अब 
वो रौशनी को  घर मेरा जलाते रहें  ....

अपनी तस्वीरों से इस कदर ओझल हूँ राम 
कुछ इस तरह वो हमें  मिटाते रहें
हम दीये जलाते रहें ,वो हवा उड़ाते रहे ....
जाने कौन हैं वो हमें इस तरह आजमाते रहें ......

इमान -ए -इश्क ने हमे कर्जदार कर दिया 
वो जमीर अपना  बेच-बेच कर खाते रहें ....

जफां के हाथों  ने वफ़ा को  मार डाला 
वो गीत गैरों के गुनगुनाते रहें 

किसपे यकीं किसका एतबार हो अब 
वो रौशनी को  घर मेरा जलाते रहें  ....

अपनी तस्वीरों से इस कदर ओझल हूँ राम 
कुछ इस तरह वो हमें  मिटाते रहें
ramshankar0435

Ram Shankar

New Creator