*सब् ए बारात* सुना है नाम ए आमाल कि एक और किताब बंद होगी और नई किताब नए आदाब ओ अदब नए निजाम लिखे जाएंगे जिसमे कुछ नई ज़िंदगियां आएगी और कुछ के आखरी पन्ने बनेंगे जिसमे सायद हम भी हो मेरी गुनाह मेरी खता मेरी गलतियां लब्जो सुकन को मुआफ कर दीजे क्या पता आपकी माफी मेरी बख्सिस का जरिया बन जाए ©Zakir Qadri #Muafi #Light