पतझड़ों सा झड़ा मैं कई कई बार हुआ फ़िर भी खड़ा मैं कई कई बार हौंसला न पस्त हुआ मैं भी न शिकस्त हुआ बन के फूटा अंकुरण मैं कई कई बार - स्वरचित अजय नेमा #पतझड़#अंकुरण#कविता#स्वरचित#nojotoapp#nojotohindi#nojotowritter