।। फ़ासला ।। दरमियां कुछ यूं फासलों में बट जाती है, मोहब्बत कुछ यूं मचल के आती है ।। दिवानगी अक्सर तूफान से लड़ जाती है, दरमियां कुछ यूं फासलों में बट जाती है ।। चोट जो लगे शीशे पर तो वो टूट के बिखर जाती है । मोहब्बत हर किसी को कहां मिल पाती है........ मोहब्बत, प्यार, इश्क यह शब्द ही है अधूरा , इसमें दिवानगी यूं ही तड़प कर रह जाती है । दरमियां कुछ यूं फासलों में बट जाती है ।। Nivash kumar singh फ़ासला